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EVM की फुल फॉर्म क्या होती है?
EVM की अंग्रेजी में फुल फॉर्म Electronic Voting Machine होती है और इसे हिंदी में इसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के नाम से जाना जाता है।
Electronic Voting Machine (EVM) क्या होती हैं?
Electronic Voting Machine (EVM) एक प्रकार की मतदाता वोटिंग मशीन होती है। इसका उपयोग भारत सरकार द्वारा में मतदान करवाने के लिए किया जाता है। EVM को उपयोग में लाने से पहले मतदान मतपत्र, मत-पर्ची की मदद से करवाया जाता था। इस प्रकार से मतदान कराने में बहुत समय लगता था और मतदान के बाद के बाद मतदाताओं की गणना करने में भी 3 से 4 दिन का समय लग जाता था। इसी परेशानी के मिटाने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का उपयोग किया जाने लगा। इस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को आज शार्ट में EVM मशीन के नाम से जाना जाता है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को दो डिवाइसों को मिलाकर बनाया जाता है। इस मशीन में पहले डिवाइस का नाम कंट्रोल यूनिट होता है और दूसरे डिवाइस का नाम बैलेटिंग यूनिट होता है। इन दोनों प्रकार डिवाइस को एक दूसरे के साथ 5 मीटर लंबी केबल से जोड़ा जाता है और यह डिवाइस EVM मशीन में कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट को कंट्रोल करते है। EVM में बैलेटिंग यूनिट के माध्यम से ही मतदाता अपना वोट देने में सक्षम हो पाते है। EVM मशीन में कंट्रोल यूनिट का उपयोग मतदान अधिकारी द्वारा किया जाता है और इसमे मौजूद बैलेटिंग यूनिट का उपयोग मतदाता द्वारा किया जाता है। जब तक वोटिंग अधिकारी कंट्रोल यूनिट के बटन को नहीं दबाता है तब तक कोई भी मतदाता अपना वोट नहीं दे सकता है। जब मतदाता एक बार अपना वोट डाल देता है तो उसके बाद EVM मशीन स्वयं ही लॉक हो जाती है और फिर इसके लॉक होने के बाद मतदाता कितनी भी बार बटन दबा सकता है क्योंकि इससे EVM मशीन में कोई बदलाव नहीं होता है।
Electronic Voting Machine (EVM) का इतिहास क्या है?
EVM Machine का सबसे पहला उपयोग मई में वर्ष 1982 में केरल के परूर विधानसभा क्षेत्र के 50 मतदान केंद्रों में गया था लेकिन इसके बाद Electronic Voting Machine (EVM) में गड़बड़ी और कई राजनीतिक दलों के दबाव के कारण EVM मशीन के उपयोग पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन कुछ संशोधनों के बाद वर्ष 1998 में इसका फिर से आम चुनावों में उपयोग किया जाने लगा था। इसके बाद वर्ष 2004 में इसका उपयोग भारत के सभी चुनावों में किया जाने लगा और आज भी इसका उपयोग सभी प्रकार के चुनावों में किया जाता है।
Electronic Voting Machine (EVM) की विशेषताएं क्या है?
- Electronic Voting Machine (EVM) मशीन बैटरी से संचालित की जाती है।
- EVM मशीन में कोई भी व्यक्ति अवैध तरीके से मतदान के साथ हेराफेरी नहीं कर सकता है और इसमें मतों से किसी भी प्रकार छेड़छाड़ करने संभव नहीं होता है।
- EVM मशीन का उपयोग बिना बिजली या कम बिजली वाले इलाकों में बहुत आसानी से किया जा सकता है।
- EVM मशीन का उपयोग मुख्य रूप से चुनाव में तब इस्तेमाल किया जाता है जब मतदान करने वाले लोगों की संख्या 64 या उससे अधिक होती है।
- EVM मशीन से कोई भी मतदाता बिल्कुल भी छेड़छाड़ नहीं कर सकता है।
- इस मशीन से मतदान करने बहुत ही सरल होता है।
- EVM मशीन का इस्तेमाल करने से मतों की गिनती करने की प्रक्रिया जल्दी और आसानी से हो जाती है और इससे सरकार के समय की बचत होती है और खर्चा भी कम आता है।
- EVM मशीन को इस प्रकार से बनाया गया है की यदि आपने एक बार इसमें बार अपना मत डाल दिया और उसके बाद देने के बाद किसी भी बटन को दबा दिया तो इसके बाद आप अपने मत की नहीं बदल सकते है।
Electronic Voting Machine (EVM) क्या कार्य करती है?
एक Electronic Voting Machine (EVM) में मुख्य रूप से दो यूनिट मौजूद होते हैं। पहला कंट्रोल यूनिट और दूसरा ब्लोटिंग यूनिट होता है। यह दोनों प्रकार के यूनिट एक पांच मीटर की केबल के द्वारा जोड़ा जाता है। EVM मशीन में ब्लोटिंग यूनिट का उपयोग मुख्य रूप से मतदान करने वाले व्यक्ति के द्वारा किया जाता है। EVM मशीन के माध्यम से मतदान करने के लिए उसमें चिन्हित बटन दिए होते है जिन्हें दबाकर मतदाता अपना मतदान कर सकता है और इस मशीन में कंट्रोल यूनिट का उपयोग बलोटिंग यूनिट को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। कंट्रोल यूनिट में कुल मत की संख्या स्टोर की जाती है और फिर चुनाव के अंत में कुछ समय बाद इसके परिणाम घोषित कर दिए जाते है। EVM मशीन में परिणाम 7 सेगमेंट वाली LED डिस्प्ले में दिखाए जाते है। EVM मशीन का उपयोग करने वाले अधिकारी के लिए उसका अपना अलग से एक ऑपरेटिंग प्रोग्राम होता है और इस ऑपरेटिंग प्रोग्राम को हमेशा के लिए एतचेड़ कर दिया जाता है। यह काम इसके सिलिकॉन में किया जाता है और यह इसकी मैन्युफैक्चरिंग के दौरान इसे बनाने वाले के व्यक्ति ल द्वारा ही किया जाता है ताकि कोई भी यहाँ व्यक्ति या इसे बनाने वाला खुद भी इस ऑपरेटिंग प्रोग्राम में किसी प्रकार का बदलाव न कर पाए।
EVM मशीन को काम करने की ऊर्जा एक सामान्य 6 volt की अल्कलाइन बैटरी के द्वारा दी जाती है। इसे मुख्य रूप से Bharat Electronics Limited, Bangalore और Electronics Corporation of India Limited, Hyderabad के द्वारा निर्मित किया जाता है। यही कारण है कि EVM मशीन का इस्तेमाल पुरे देश में किसी भी स्थान पर आसानी से किया जा सकता है। EVM मशीन का इस्तेमाल वहां भी किया जा सकता है जहाँ पर बिजली आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है। एक EVM मशीन में लगभग 3840 मतों को आसानी से स्टोर किया जा सकता है। EVM मशीन का उपयोग कम से कम 64 मतदाताओं द्वारा किया जाना चाहिए। EVM मशीन में केवल 16 मतदाताओं के लिए ही एक सिंगल बलोटिंग यूनिट में प्रावधान किया जा सकता है और इसमें कम से कम 4 यूनिटों को समानांतर रूप से जोड़ा जा सकता है। इससे EVM मशीन में मतदाताओं की संख्या 64 से अधिक हो जाती है उसमे एक पारंपरिक मतपत्र जैसे कि कागज पर लिख कर मतदान करने वाले तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। EVM मशीन में पोलिंग करने के लिए एक मतदाता केवल एक ही मत दे सकता है। यदि किसी ने एक बार अपना मत दे दिया हैं तो फिर चाहे वो कितनी ही बार EVM मशीन के वोटिंग बटन को दबाएं वो दुबारा मत नहीं दे सकता है। जब भी EVM मशीन में कोई उम्मीदवार किसी भी एक विशेष बटन को दबा देता है तो उस वक्त ब्लोटिंग यूनिट में उसके मत को अपने आप ही EVM मशीन द्वारा रिकॉर्ड कर लिया जाता है। इसके बाद उस व्यक्ति के लिए EVM मशीन अपने आप ही लॉक हो जाती है और यही कारण है कि इसके बाद कोई व्यक्ति कितनी भी कोशिश करले या कोई भी बटन दबाले वह दोबारा मतदान नहीं कर सकता और ना ही अपना मत बदल सकता है। इसी प्रकार से एक EVM मशीन यह सुनिश्चित करती हैं की “एक व्यक्ति, एक मत” के नयन को लागू रखा जाए।
Electronic Voting Machine (EVM) का निर्माण किसके द्वारा किया गया है?
Electronic Voting Machine (EVM) का निर्माण करने के पीछे मुख्य रूप से दो लोगों का बड़ा समर्थन रहा है। ये दो व्यक्ति पहले S. Rangarajan जी और दीसरे T. N. Swamy जी है।
Electronic Voting Machine (EVM) का उपयोग क्यो करते है?
Electronic voting machines का उपयोग वर्ष 1999 से किया जा रहा है। EVM मशीन का उपयोग करने से हम कागज के मतपत्र से दूर हो चुके है और इससे पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचता है। ऐसा इसलिए क्योंकि EVM मशीन के इस्तेमाल करने से लाखों पेड़ों को कटने से बचाया जा रहा है। EVM मशीन पूरी मतदान की प्रक्रिया को बहुत ही सरल बना देती है। EVM मशीन में मतदाता को केवल एक बटन को दबाना होता है और इसके बाद उसके मत को स्टोर कर लिया जाता है। प्रतेयक EVM मशीन की शुरुआती लागत करीब 5 हजार रुपये से लेकर 6 हजार के बीच होती है। एक EVM मशीन का करीब 15 वर्षों तक आसानी से उपयोग किया जा सकता है। EVM मशीन को चलाने के लिए बिजली की जरुरत भी नहीं पड़ती है, यह केवल बैटरी के माध्यम से भी काम कर सकती हैं। Electronic Voting Machine (EVM) बहुत ही हल्की होती है और इसीबक साथ यह पोर्टेबल भी होती है। यदि इसकी तुलना बड़े बलोट बॉक्स से की जाए तो यह उससे काफी बेहतर होती है। साथ ही EVM मशीनों में मतदाताओं के मतों की गिनती करने की प्रक्रिया भी बहुत ही तेज होती है। जहाँ सामान्य पेपर के माध्यम से मतों की गिनती करने में कई दिन लग जाते थे वहीँ अब EVM मशीन के माध्यम से केवल कुछ ही घंटों मतों की गिनती आसानी से हो जाती है।
Electronic Voting Machine (EVM) का कार्य कैसे करती है?
EVM मशीन का इस्तेमाल करना बहुत ही सरल होता है। EVM मशीन में इसकी कंट्रोल यूनिट की बूथ इसके पीठासीन अधिकारी या फिर इसे मतदान अधिकारी के पास होती है। इसमें उन्हीं के पास एक मतदान इकाई को मतदान के कक्ष के अंदर स्थापित कर दिया जाता है। उस मतदान की इकाई में नीले रंग कुछ बटन होते हैं और ठीक उसके सामने इसे क्षैतिज रूप से लेबल कर दिया जाता है। इसमे जो भी इससे संबंधित पार्टी के प्रतीक के चिन्ह को और उनके नाम को स्थापित किया जाता है। इससे जुड़ा हुआ कंट्रोल यनित उस बूथ के अधिकारी को एक ऐसी सुविधा प्रदान करता है जिससे वो अधिकारी एक “बलोट” लिखे हुए बटन से अपने नियंत्रण में करता है। वह अधिकारी ये भी देखता है की अगला वोटर अब अंदर जा सकता है या नहीं। पहले के समय मे ये प्रक्रिया मतदान कागज द्वारा की जाती थी। एक EVM मशीन में एक बलोट यूनिट, अगले मतदाता को अपना मत डालने के लिए अनुमति प्रदान करता है।
EVM मशीन में मतदाता को अपना मत डालने के लिए उसके सामने स्थित एक नीले रंग के बटन को केवल एक ही बार दबाना होता है। इसके बाद ब्लोटिंग यूनिट द्वारा मतदान को उनकी इच्छा अनुसार उस सरकार के चिन्ह को चुनने का विकल्प देता है। आपको उस चिन्ह को चुनना होगा जिसे आप मत देना चाहते हैं। जैसे ही कोई मतदाता अपना मत दे देता है वैसे ही वहां मौजूद मतदान अधिकारी EVM मशीन के कंट्रोल यूनिट में क्लोज के बटन को दबा देते है। क्लोज का बटन दबाने से EVM मशीन अगला वोट स्टोर करने से पहले तुरंत लॉक हो जाती है। इसके बाद इसके आगे के पोल के बंद हो जाने के बाद इसमें बलोटिंग यूनिट को अलग कर दिया जाता है और इसके बाद कंट्रोल यूनिट से उसे अलग ही रखा जाता है। सभी मतों को बलोटिंग यूनिट के द्वारा ही स्टोर किया जाता हैऔर ऐसा तब तक होता है जब तक पोलिंग समाप्त नहीं होती है। इसके बाद जब मतदान अधिकारी उस बूथ में स्थित सभी मतदाता कर्मियों को उनका एक खाता प्रदान किया जाता है ताकि वे मतों की गणना कर सकें। जब मतों की गणना होती है, तब कुल मतों को इकट्ठा कर लिया जाता है और अगर इसमे किसी भी प्रकार की भिन्नता पाई जाती है, तो वो उस भिन्नता को मतदान अधिकारी के सामने लाते हैं। EVM मशीन के माध्यम से मतों की गणना के दौरान परिणामों को आसानी से दर्शाया भी जा सकता है।